बड़ी ऑपरेशनल चूक: साबरमती-गुरुग्राम वंदे भारत ट्रेन ने 15 की जगह 28 घंटे में तय किया सफर, बनाया 'अनचाहा' रिकॉर्ड

बड़ी ऑपरेशनल चूक: साबरमती-गुरुग्राम वंदे भारत ट्रेन ने 15 की जगह 28 घंटे में तय किया सफर, बनाया 'अनचाहा' रिकॉर्ड

साबरमती, गुजरात। भारतीय रेलवे को हाल ही में एक ऐसी बड़ी ऑपरेशनल चूक का सामना करना पड़ा जिसने देश की सबसे प्रतिष्ठित प्रीमियम ट्रेन, वंदे भारत एक्सप्रेस, के लिए एक "अनचाहा रिकॉर्ड" कायम कर दिया। पश्चिमी रेलवे द्वारा चलाई गई साबरमती (गुजरात) से गुरुग्राम (हरियाणा) जाने वाली स्पेशल वंदे भारत ट्रेन (09401) को 898 किलोमीटर का सफर लगभग 15 घंटे में पूरा करना था, लेकिन एक बुनियादी तकनीकी गड़बड़ी के कारण ट्रेन ने 1400 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करीब 28 घंटे में पूरी की। यह किसी भी प्रीमियम ट्रेन द्वारा एक ही रन में तय की गई अब तक की सबसे लंबी दूरी बन गई है।
गलत पेंटोग्राफ बना देरी का कारण
मामला तब सामने आया जब ट्रेन साबरमती से रवाना होने के कुछ ही देर बाद मेहसाणा के पास फंस गई। रेलवे अधिकारियों ने जाँच में पाया कि आवंटित वंदे भारत रेक में हाई-रीच पेंटोग्राफ मौजूद नहीं था।
यह पेंटोग्राफ उस रूट के लिए अनिवार्य था, क्योंकि उस खंड में मालगाड़ियों के सुचारु संचालन के लिए ओवरहेड इक्विपमेंट (OHE) की ऊँचाई सामान्य से अधिक रखी गई है। बिना हाई-रीच पेंटोग्राफ के, ट्रेन उन ऊँचे तारों से बिजली नहीं खींच सकती थी, जिससे उसका आगे बढ़ना नामुमकिन हो गया।
लंबा और थकाऊ डाइवर्जन
जब ट्रेन को तय मार्ग पर आगे बढ़ाना संभव नहीं हो पाया, तो रेलवे अधिकारियों ने आनन-फानन में ट्रेन को एक लंबे वैकल्पिक मार्ग पर डाइवर्ट करने का फैसला किया। ट्रेन को अब साबरमती-अजमेर-जयपुर-गुरुग्राम के सीधे मार्ग की जगह अहमदाबाद, उदयपुर, कोटा, जयपुर और मथुरा के रास्ते भेजा गया। इस रूट डाइवर्जन ने न केवल यात्रा की दूरी में सैकड़ों किलोमीटर का इजाफा कर दिया, बल्कि यात्रियों के लिए सफर का समय भी दोगुना से अधिक हो गया।
जो यात्री गति, सुविधा और प्रीमियम सेवा की उम्मीद के साथ इस ट्रेन में सवार हुए थे, उनके लिए यह यात्रा एक लंबा और थकाऊ अनुभव बन गई। निर्धारित 15 घंटे की यात्रा आखिरकार 28 घंटों में समाप्त हुई, जिससे भारतीय रेलवे की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
रेलवे की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बुनियादी सवाल उठाया है: किसी भी आधुनिक ट्रेन को रूट पर भेजने से पहले आवश्यक तकनीकी जाँच क्यों नहीं की गई? एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार किया कि यह एक "बुनियादी तकनीकी गड़बड़ी थी, जिसकी तैनाती से पहले जाँच की जानी चाहिए थी।"
फिलहाल, रेलवे ने इस बड़ी ऑपरेशनल चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ किसी कार्रवाई की घोषणा नहीं की है, लेकिन यह घटना दिखाती है कि सबसे उन्नत ट्रेनें भी खराब योजना और लापरवाही का शिकार हो सकती हैं। यह 'अनचाहा रिकॉर्ड' भारतीय रेलवे के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गया है, जिसे अपनी प्लानिंग और ऑपरेशनल प्रोटोकॉल की समीक्षा करने की सख्त आवश्यकता है।